उर्दू शायरी (Urdu Shayari) में बात जब इश्क़-मुहब्बत (Love) की होती है, तो आंखों का जिक्र ज़रूर आता है. शायरों ने आंखों की अहमियत को अलग ही अंदाज़, अलग ही रंग में क़लमबंद किया गया है...
लोग कहते हैं कि तू अब भी ख़फ़ा है मुझ से
तेरी आंखों ने तो कुछ और कहा है मुझ से
तेरे जमाल की तस्वीर खींच दूं लेकिन
ज़बां में आंख नहीं आंख में ज़बान नहीं
जो उन मासूम आंखों ने दिए थे
वो धोके आज तक मैं खा रहा हूं
ख़ुदा बचाए तेरी मस्त मस्त आंखों से
फ़रिश्ता हो तो बहक जाए आदमी क्या है
इस क़दर रोया हूं तेरी याद में
आईने आंखों के धुंधले हो गए
आंख रहज़न नहीं तो फिर क्या है
लूट लेती है क़ाफ़िला दिल का
इक हसीं आंख के इशारे पर
क़ाफ़िले राह भूल जाते हैं
उन रस भरी आंखों में हया खेल रही है
दो ज़हर के प्यालों में क़ज़ा खेल रही है
बुज़-दिली होगी चराग़ों को दिखाना आंखें
अब्र छट जाए तो सूरज से मिलाना आंखें
आंख से आंख जब नहीं मिलती
दिल से दिल हम-कलाम होता है
'मीर' उन नीम-बाज़ आंखों में
सारी मस्ती शराब की सी है
जान से हो गए बदन ख़ाली
जिस तरफ़ तू ने आंख भर देखा
रह गए लाखों कलेजा थाम कर
आंख जिस जानिब तुम्हारी उठ गई
यूं चुराईं उस ने आंखें सादगी तो देखिए
बज़्म में गोया मेरी जानिब इशारा कर दिया
आंख की ये एक हसरत थी कि बस पूरी हुई
आंसुओं में भीग जाने की हवस पूरी हुई